शनिवार, 3 जनवरी 2015

रँग दियाँ पुड़ियाँ

कुड़ियाँ रँग दियाँ पुड़ियाँ 
सरों दे खेताँ विच्च , बिजूकेयाँ वांगों खड़ियाँ
मार उडारी उड्ड जावण 
मापेयाँ दे चुबारे उत्तों चिड़ियाँ 

मिट्ठियाँ-मिट्ठियाँ गल्लाँ करन 
मोह लैंदियाँ , शरबती अक्खाँ ने मिश्री दियाँ डलियाँ 

रुत जोबन दी बड़ी कमाल ऐ 
रूप दी बदली ते चौमासे दियाँ झड़ियाँ 

सारा वेड़ा हस्स पैंदा 
जाण फूँक देदियाँ ,ऐ जादू दियाँ छड़ियाँ 

कुड़ियाँ रँग दियाँ पुड़ियाँ 
सरों दे खेताँ विच्च , बिजूकेयाँ वांगों खड़ियाँ
मार उडारी उड्ड जावण 
मापेयाँ दे चुबारे उत्तों चिड़ियाँ