सोमवार, 28 अगस्त 2023

सखी-सहेलियों जैसे रिश्तों के लिये

सइयो नी , सइयो नी 

आ दुक्खाँ दे लीड़े धो लइये 

कुझ कह लइये , कुझ सुन लइये 


तेरे वेहड़े धुप्प ही धुप्प 

मेरे वेहड़े छाँ कोई ना 

कट जायेगा रा नाल-नाल चल लइये 


दिल दी हवाँडाँ कदे वण्डियाँ ना 

अक्खाँ दे ज़रिये जो उतरन 

आ रूहाँ दी कुण्डियां खोल लइये 


सइयो नी , सइयो नी 

आ दुक्खाँ दे लीड़े धो लइये 

कुझ कह लइये , कुझ सुन लइये 


आओ कभी फुर्सत में बैठें 

यादों के ताने-बाने खोलें 

दुखती रगों के तार ढीले कर लें 


हौले से छू लें दिल को जो 

उन ठण्डी हवाओं के सदके 

थोड़ा-थोड़ा आराम मिले 

कुछ ऐसे झूले में झूलें 


सहरा में पानी होता कहाँ 

इक दोस्त ही है जो मशक लिए 

थोड़ा-थोड़ा पानी बख़्शे 

राहों के हादसे तो धो लें 


आओ कभी फुर्सत में बैठें 

यादों के ताने-बाने खोलें 

दुखती रगों के तार ढीले कर लें